
आगे बढ़ने दो हमें भी.
तुम्हारे बोझ संभालने में
हाथ बटाएँगे !!!!
दुनिया को और आगे बढ़ाएँगे .
यह है हमारे हौसलों की उड़ान !!!

आगे बढ़ने दो हमें भी.
तुम्हारे बोझ संभालने में
हाथ बटाएँगे !!!!
दुनिया को और आगे बढ़ाएँगे .
यह है हमारे हौसलों की उड़ान !!!

क्या यह ख़तरे की घंटी नहीं है?
प्रदूषण , प्रकृतिक से छेड़-छाड
इस सीमा तक पहुँच गई है मानव इतिहास में.
कहीं हम सब ही इतिहास ना बन जायें .