
एक व्यंग
आज हम जिस दौर से गुजर रहे हैं बहुत से बहसों की गुंजाइश है ।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जीन एडिटिंग उनमें से ही कुछ हैं।
क्या आज हम वही अनाज, फल, सब्जियाँ खाते हैं जो आज से 50-100 साल पहले खाते थे?
बिल्कुल नहीं, उनके जीन एडिट से अब तक
कुछ बहुत बदल चुका है?
दवाएँ, हवाएँ, सब तो एडिट हो गई है।
फिर इंसान के जींस को बदलने के लिए इतना सोच विचार क्यों?
नतीजा तो 50-100 साल बाद ही पता चलेगा शोध जारी ही रहेंगे ।
मालूम नहीं कुछ समय बाद इंसान का क्या रूप देखने वाला है हम?
जीन बदलता जाएगा, इंसान बदलते जाएगें ।
वैसे ही क्या हम कम बदल चुके हैं गिरगिट की तरह?
खेल–खेल में कहीं एक्स्टिंक्ट या विलुप्त ना हो जाए हम सब बस यही ख्याल रखना।


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