बुलावा (कविता)

 

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एक मधुर आवाज़
सिर्फ जानेवाले को बुलाती है.
और एक मीठी  चिर  निद्रा
नयनो मॆं समा जाती हैं.

 

 

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साया भी जब साथ छोङ दे

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कभी देखा है,

जब साया भी

साथ छोङ दे?

कहते हैं, बुरे दिनों में

छाया  भी साथ छोङ देती है।

अगर, आज साया ना दिखे,

ङरो नहीं

आज  तो छायाविहिन दिवास है।

 

 

 

 

 

 

 

( छायाविहिन दिवस /नो शैङौ या जीरो शैङो  ङे १६-५-२०१६ पर )

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हवा में जहर

 

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हवा में क्यों है घुला जहर?

बनने की कामना है विश्वगुरु,

योग दिवस मनाते  है हम।

देते है उच्च संस्कृति और

प्राचीन इतिहास की दुहाई।

 कहाँ है हमारी तथाकथित संवेदनशीलता?

जब हम अपना पर्यावरण

और वायु भी स्वच्छ

नहीं रख सकते हैं?

क्यों है हवा में इतना जहर?

( विश्व स्वास्थ संगठन/ WHO, के 100 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूची  में भारत के 34 शहरों के नाम है। अच्छी खबर यह है, कि दक्षिण भारत के किसी शहर का नाम इस सूची में नहीं है। – समाचार इए शॉर्ट / INSHORT 15.5.2016  )  

 

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राष्ट्रपिता के पौत्र वृद्धाश्रम में

 

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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के पौत्र और पौत्र वधु “गुरु विश्राम वृद्ध आश्रम” दिल्ली में रह रहे हैं। संतानहीन कानुभाई रामदास गाँधी (87 वर्ष) और उनकी पत्नी ड़ा शिवा लक्ष्मी गाँधी (85 वर्ष ) चार दशक अमेरिका में रह कर 2014 में स्वदेश लौटे और विभिन्न आश्रमों में रह रहें हैं।

महात्मा गाँधी के पौत्र, कानुभाई रामदास गाँधी ने मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालजी से अप्लाइड मैथेमेटिक्स की पढ़ाई कर नासा लंगले रिसर्च सेंटर और रक्षा विभाग, अमेरिका  में कार्यरत थे। ड़ा शिवा लक्ष्मी गाँधी, पौत्र वधु पीएच ड़ी कर बोस्टन में पढ़ाती थीं। 

 

( हिन्दू अखबार, पृष्ठ – 8, तिथि -14 मई 2016  समाचार आधारित,    )

 

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जिंदगी के रंग (1) ज़िंदगी रोज़ नए रंग दिखाती है हमें ( कविता )

 

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ज़िंदगी रोज़ नए रंग दिखाती है हमें
दूर खड़ा फूलों भरा, हरा भरा,

पुराना दरख्त समीर के झोंकों में झूम रहा था।
नीचे खेलते बच्चे किलक रहे थे।
ड़ालों पर पंछी चहक रहे थे।
जिंदगी के रंग कितने सलोने है।

तभी पेड़ चीख़ उठा। उस से भी तेज़ चीख़ें आईं
ऊपर नीड़ों से, और गोल-गोल उड़ते पंछियो की।
कोई उसे बेरहमी से काट रहा था,

शायद सीमेंट-बालू के नीड़ बनाने के लिए।
आसपास के पेड़ सन्न देख रहे थे,
क्या इसके बाद हमारी बारी है? सोच रहे थे।
पेड़ धरा पर पड़ा था, फूल टूट-टूट कर बिखर गए थे।

हमें हमेशा लगता है, दुर्घटनाएँ दूसरों के साथ हीं होते है
पर ऐसा नहीं है। जिंदगी रोज़ नए रंग दिखाती है हमें।
हम हीं भूल जाते है, कभी-कभी गहरी जड़ें भी सहारा नहीं दे पातीं हैं हमें,

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जहां खारा पानी बिकता है # mumbaislum ( कविता )

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वह भी रहती हैं वहाँ

जहां खारा पानी बिकता है।

दरिद्र, पति परित्यक्ता,

दस बच्चों के साथ,

दशकों पुरानी अपनी

बावड़ी का जल  बाँट कर

कहती है –“ पानी बेच कर क्या जीना?

क्या पूजा सिर्फ मंदिरों और मस्जिदों में ही होती है ?

यह इबादत का  उच्चतम सोपान नहीं है क्या?

 (मुंबई, मानखुर्द बस्ती में जहाँ गर्मी में लोग पानी खरीद रहे हैं। जहाँ खारा पानी भी घरेलु काम मॆं आता है। वहाँ  ज़रीना ने अपनी पुरानी बाबड़ी का द्वार सभी के लिए खोल दिया  है। ) news from daily – HINDU, pg – 2 dated may 12 2016.

 

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Water Express

 

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A special train carrying lakhs of liters of water reached Latur on 12 th of April 2016. Latur ( Maharashtra ) is affected with sever drought.

Now its time to understand the value of water.  Water is rare  commodity. It should not be wasted.

 

Image by Chandni Sahay.

 

राग वीतराग (काविता)

राग-वितराग
राग-वितराग

जीवन के मधुर राग में ,
वीतराग भर जाता हैं  ,
जब अपनो के ही बदलते रंग,
जीवन बेरंग कर देते हैं.
क्या यही  हैं वैराग्य का द्वार ?

 

Image by Chandni Sahay.

Tear down the walls

   

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 Tear down the walls
let the Migrants come in

They are not criminals

They are sufferers
   ….      of

man made wars.
build bridges and
tear down the walls.

(  Pope Francis told the Vatican audience to resolve the refugee crisis and to build a fairar society )

 

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दिल की खेती

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सूरत  के नवयुवक का दिल
मुम्बई आया ,
किसी मौत से जुझते
के काम आया ,
पलों मॆं चिकित्सकों
ने हुनर दिखाया
सलाम हैं , उन सबको
जिन्होने अजूबा कर दिखाया.

( National organ and tissue transplant organisation   – A human transplant program mumbai , India is working efficiently, says daily  -The Hindu , pg 2 dated- 27.4.2016)

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