मॉडेल बने किन्नर /ट्रांसजेंडर ( जैसे अर्जुन बने थे वृहनल्ला )

किन्नर   या ट्रांसजेंडर

प्रकृति  में नर नारी के अलावा एक अन्य वर्ग भी है जो न तो पूरी तरह नर होता है और न नारी। जिसे लोग हिजड़ा या किन्नर या फिर ट्रांसजेंडर के नाम से संबोधित करते हैं।  इनमे पुरुष और स्त्री दोनों के गुण एक साथ पाए जाते हैं।

महाकाव्य  महाभारत  में किन्नर

 

 

     अर्जुन अौर उलुपि के पुत्र इरावन को किन्नरों के अराध्य देव माना जाता है।  किवदन्ति है कि पांङवों को महाभारत विजय के लिये एक बलि की जरुरत थी।  इरावन इसके लिये तैयार हो गया। पर बलि से पहले वह विवाह करना चाहता था। अतः कृष्ण ने मोहिनी नाम की नारी का रुप धारण कर इरावन से एक रात  का विवाह रचाया था। विल्लुपुरम मंदिर में अप्रैल और मई में हर साल किन्नर १८ दिन का  धार्मिक त्योहार मनाते हैं।  त्योहार के दौरान,भगवान कृष्ण और इरावन की शादी व इरावन के बलिदान की  कहानी दोहराइ जाती है ।

 

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शिखंडी महाभारत युद्ध में

महाभारत में अर्जुन ने  एक  साल के लिये किन्नर का रुप धारण किया था और अपना नाम वृहनल्ला रख लिया था.   इसी तरह शिखंडी  हिंदू महाकाव्य में एक  किन्नर चरित्र  है । जो पांचाल के राजा द्रुपद का पुत्र अौर पांचाली व धृष्टद्युम्न  का भाई था। शिखंडी ने पांडवों के पक्ष में कुरुक्षेत्र युद्ध में हिस्सा लिया तथा भीष्म की मृत्यु  का कारण बना।

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रामायण में किन्नर-

रामायण के कुछ संस्करणों में लिखा है, जब राम अपने 14 वर्ष के वनवास के लिए अयोध्या छोड़ने लगे  हैं। तब अपने साथ आ रही प्रजा को वापस अयोध्या लौटने कहते   हैं।

पर 14 साल के बाद लौटने पर किन्नरों को वहीं अपना इंतजार करते पाया। उनकी भक्ति से राम ने खुश हो किन्नरों को वरदान दिया कि उनका आशीर्वाद हमेशा  फलित होगा। तब से बच्चे के जन्म और शादी जैसे शुभ अवसरों के दौरान वे  लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं । 

 

ग्रह अौर टोटके 

  •  बुध को नपुंसक  ग्रह माना गया है। अतः  कुंडली में जब बुध  कमजोर हो तो उस समय किसी किन्नर को हरे रंग की चूड़ियां व साडी दान करनी चाहिए। इससे लाभ होता है।  

  •  मान्यता  है, किन्नरों की दुआएं किसी भी व्यक्ति के बुरे वक्त को  दूर कर सकती हैं। और यदि धन का लाभ चाहते है तो किसी किन्नर से एक सिक्का लेकर अपने पर्स में रखे।

  •    इन्हें   मंगल मुखी कहते है क्योंकि ये केवल मांगलिक कार्यो में ही हिस्सा लेते हैं मातम में नहीं।

इन किन्नरों या ट्रांसजेन्डरो को समाज में बराबरी का दर्जा नहीँ दिया जाता हैं। जबकि हमारे महाकाव्यों में  इनकी विषद चर्चा है। ये शादियों, बच्चे के जन्म में नाच गाने, भीख मांगने और देहव्यापार से ही आजीविका चलाते हैं।  ऐसे में इन में से कुछ को केरल में माडलिंग का अवसर प्रदान किया गया हैं।  ये किन्नर मॉडल हैं – माया मेनन और गोवरी सावित्री। उन्हें मॉडलिंग का कोई अनुभव नहीं है। उनका   कहना है कि सामाजिक संस्था क़रीला के ज़रिए इन्हें यह अवसर मिला। क़रीला केरल में एलजीबीटी समुदाय के लिए काम करने वाली एक संस्था है। 

 

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कन्या पूजन ( कविता )

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नवरात्रि की अष्टमी तिथि ,
प्रौढ़ होते, धनवान दम्पति ,
अपनी दरिद्र काम वालियों
की पुत्रियों के चरण
अपने कर कमलों से
प्यार से प्रक्षालन कर  रहे थे.

अचरज से कोई पूछ बैठा ,
यह क्या कर रहें हैं आप दोनों  ?

अश्रुपूर्ण नत नयनों से कहा –
“काश, हमारी भी प्यारी संतान होती.”
सब कुछ है हमारे पास ,
बस एक यही कमी है ,

एक ठंडी आह के साथ कहा –
प्रायश्चित कर रहें है ,
आती हुई लक्ष्मी को
गर्भ से ही वापस लौटाने का.

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बेटियाँ ( कविता )

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नन्ही सी बेटी ने कहा ,
माँ , चाची कहती  हैं ,
तुम बेटी -बेटी मॆं भेद भाव करती हो.
तुम्हें लड़के प्यारे हैं.
माँ ने कहा –  मैं ऐसा कैसे कर सकती हूँ ?
मेरी तो तुम दो  ही प्यारी बेटियाँ हो.
बेटा को मैंने जन्म ही नहीँ दिया.
तब भेद और तुलना करूँगी किस से ?

चाची की तरह  कन्या भ्रूण हत्या कर
बेटा पा सकती थी.
पर नहीँ किया ऐसा ,
क्योंकि मुझे तुम
दो ,बेटियाँ ही प्यारी हो.

 

 

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प्रवस पीड़ा (कविता )

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अभी प्रवस पीड़ा से
ऊबरी भी नहीँ थी.
एक ओर कमर पर हाथ धरे
जेठानी खड़ी थी.
दूसरी ओर लाल नेत्रों से
ताक रहे थे पति.
दोनो बोल पड़े – फिर बेटी ?
तुम में कोई सुधार नहीँ है.

 

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मैं एक लड़की ( कविता 2)

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मैंने आँखें खोली ,
देखा  मेरी  माँ की
आँखों मे खुशी के आँसू है.
मेरे पिता बोल रहे हैं –

इतना पूजा जतन किया
टोना -टोटका किया.
फिर दूसरी बार भी लड़की ?
बड़ी बेकार औरत हो तुम.

 

 

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मैं एक लड़की ( कविता 1 )

इस दुनिया  मॆं मैने
        आँखें खोली.
              यह दुनिया तो
                       बड़ी हसीन
                             और रंगीन है.

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मेरे लबों पर
        मुस्कान छा गई.
                 तभी मेरी माँ ने मुझे
                        पहली बार देखा.
                                वितृष्णा से मुँह मोड़ लिया

और बोली -लड़की ?
             तभी एक और आवाज़ आई
                          लड़की ? वो भी सांवली ?

 

 

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A new born girl ( poem )

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I opend my dark eyes
saw the big beautiful
world around me ,
for the first  time.
There was smile on ,
My pink cupid lips.
Suddenly  heard my mothers’
voice., which I was
Listening for last ,
Nine months in her womb.
She whispered – A GIRL ?
And she turned her face away.

 

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न्यू मूर – एक विवादित द्वीप का गायब होना ( कविता)

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     अचानक एक दिन, बंगाल की खाड़ी में एक द्वीप उभर आया।

न्यू मूर 

 

1970 में एक ,चक्रवात भोला  …. की वजह से ।

दोनों देश – भारत और बांग्ला   देश लगे अपना अधिकार जमाने।

भूमि विवाद चल पड़ा।

चालीस वर्ष का द्वीप पलायन कर गया, इस  झगड़े को देख कर।

समा गया वापस उसी सागर में जहां से जन्म लिया था,

 और सुलझा गया विवादित झगड़ें को।

ग्लोबल वार्मिंग और बढ़ती गर्मी से बढ़े जल स्तर  के नीच खो गया।

शायद मनुष्यों का लालच देख शर्मिंदा हो जलमग्न हो गया।   

( न्यू मूर द्वीपबंगाल की खाड़ी में  गंगा -ब्रह्मपुत्र डेल्टा क्षेत्र के तट पर 1970 में निकाल आया। जिसे 1974 में एक अमरीकी उपग्रह चित्रो में स्पष्ट देखा गया। इस पर भारत और बंगला देश दोनों ने अपना दावा किया। )

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कोमगाटा मारू ( सच्चाई पर आधारित मार्मिक कविता)

 

(यह भारतीयों की एक मार्मिक कहानी है। “कोमगाटा मारू” जापानी जहाज़ में 376 भारतीय यात्री सवार थे। यह जहाज़ 4 अप्रैल 1914 को निकला। ये भारतीय कनाडा सरकार की  इजाज़त से वहाँ पहुंचे। पर उन्हे बैरंग लौटा दिया गया। )

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सुदूर देशों में ज्ञान बाँटने और व्यवसाय करने,

         हम जाते रहें है युगों से।

          आज हम फिर, अच्छे जीवन की कामना, गुलामी और

                संभावित  विश्वयुद्ध के भय से भयभीत।  

                        निकल पड़े अनंत- असीम  सागर में,

                               कोमगाटा मारू जहाज़ पर सवार हो।

                                       चालीस दिनों की कठिन यात्रा से थके हारे,

                                               हम पहुँचे सागर पार अपने मित्र देश।

                                                         पर, पनाह नहीं मिला। 

 वापस लौट पड़े भारतभूमि,

        पाँच महीने के आवागमन के बाद

               कुछ मित्रो को बीमारी और अथक यात्रा में गवां।

                        टूटे दिल  और कमजोर काया के साथ लौट,

                               जब सागर से दिखी अपनी मातृभूमि।

                                       दिल में राहत और आँखों में आँसू भर आए।

   अश्रु – धूमिल नेत्रों से निहारते रहे पास आती जन्मभूमि – मातृभूमि।

 

 तभी ………………….

गोलियों से स्वागत हुआ हमारा। कुछ बचे कुछ मारे गए।

अंग्रेजों  ने देशद्रोही और प्रवासी का ठप्पा लगा ,

 अपने हीं देश आने पर, भेज दिया कारागार।

स्वदेश वापसी का यह इनाम क्यों?

 

 

छाया- चित्र इन्टरनेट के सौजन्य से।

जिंदगी के रंग ( कविता ) 7

 

 

blessings

यह बड़ी   दुनिया छोटी बन जाती हैं ,
जब कोई  ऐसा अचानक

मिल जाता हैं

जो अपना सा लगता हैं.

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