
पृथ्वी को हमने डस्टबीन बना दिया ,
दिल नहीं भरा है तब सागर की ओर मुड़ गए .
फिर भी तसल्ली नहीं हुई तो
एवरेस्ट का भी यह हाल कर दिया .
हद है स्वार्थ परस्ता और नासमझी की.

पृथ्वी को हमने डस्टबीन बना दिया ,
दिल नहीं भरा है तब सागर की ओर मुड़ गए .
फिर भी तसल्ली नहीं हुई तो
एवरेस्ट का भी यह हाल कर दिया .
हद है स्वार्थ परस्ता और नासमझी की.