शुभ हिंदी दिवस !

हिन्दी – एक वैज्ञानिक भाषा
Hindi -A scientific language.

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यह गर्व की बात हैं कि  हिंदी  हमारी राजभाषा अौेर मातृभाषा एक वैज्ञानिक भाषा है. इसकी विशेषताएं हैं –
1. जो लिखते हैं ,वही पढ़ते हैं और वही बोलते हैं.
2.  उच्चारण सही हो, तब सुन कर लिख सकते हैं.
3. वाक्य सम्बोधन  बड़े या छोटे के लिये अलग अलग होते हैं. जैसे आप ,तुम.
4. वाक्य शुरू करनेवाले  विशेष अक्षर ( capital ) नहीँ  होते.
  वैज्ञानिक कारण
 अक्षरों का वर्गीकरण, बोली  और उच्चारण के अनुसार हैं. “क” वर्ग  कंठव्य कहे जाता हैं , क्योंकि इसका कंठ या गले से हम उच्चारण करते हैं.बोलने के समय जीभ गले के ऊपरी भाग को छूता हैं. बोल कर इसे  समझा जा सकता हैं.
क वर्ग
क, ख, ग, घ, ङ.
इसी तरह “च ” वर्ग के सब अक्षर तालव्य कहलाते हैं.इन्हें बोलने के  समय जीभ तालू  को छूती है ।
च, छ, ज, झ,ञ
    “ट”  वर्ग मूर्धन्य कहलाते हैं. इनके  उच्चारण के समय जीभ  मूर्धा से लगती  है ।
ट, ठ, ड, ढ ,ण
त ” समूह के अक्षर दंतीय कहे जाते हैं. इन्हें बोलने के  समय जीभ दांतों को छूता हैं.
त, थ, द, ध, न
प ” वर्ग ओष्ठ्य कहे गए, इनके  उच्चारण में दोनों ओठ आपस में मिलते  है।
प , फ , ब ,भ , म.
इसी तरह दंत ” स “, तालव्य  “श ” और मूर्धन्य “ष” भी बोले और लिखे जाते हैं।

हिंदी की जननी संस्कृत ने इसे विशेषताओं से भर दिया है । वाक्य के शब्दों को आगे पीछे करो, फिर भी अर्थ वही होता है । अर्थ वही होता है शब्दों को आगे पीछे करो । ना कैपिटल लेटर्स के झमेले ना स्माल लेटर की, ना एक्सेंट या ऊच्चारण सिखने की। ऐसी वैज्ञानिकता है हिंदी भाषा में।