सुनहरी स्मृतियाँ जीवन से बंधी
हाथ पकड़ साथ साथ चलती है .
खिलते फूलो , महकती ख़ुश्बू सी .
कभी ना जाने कहाँ से अचानक
फुहारों सी बरस जाती हैं और
आँखों को बरसा जातीं हैं.
कभी पतझड़ के सूखी पतियों सी
झड़ने को तत्पर हो खो जाती हैं.
लम्हा लम्हा ख़यालों में…..
दिन निकल गया , रात ढल गई
पर बातें अधूरी रह गईं.
यादें …स्मृतियाँ ….. अधूरी रह गईं.