बरसात की हलकी फुहार
के बाद सात रंगों की
खूबसूरती बिखेरता इंद्रधनुष निकल आया।
बादलों के पीछे से सूरज की किरणें झाँकतीं
कुछ खोजे लगी….. बोली….
खोज रहीं हूँ – कहाँ से इंद्रधनुष निकला है ?
इंद्रधनुष की सतरंगी आभा खिलखिला कर हँसी अौर
कह उठी – तुम अौर हम एक हीं हैं,
बस जीवन रुपी वर्षा की बुँदों से गुजरने से
मेरे अंदर छुपे सातों रंग दमकने लगे हैं।