उस रात पूरा चाँद थोड़ा
मेरी ओर झुक आया ..
हँसा …..
बोला …..
अब फिर अमावस का अँधेरा मुझे घेरने लगेगा .
पर मैं हार नहीँ मानता कभी .
जल्दी ही पूरा हो कर
फ़िर आऊँगा …
शब्बा ख़ैर ! ! ! !
उस रात पूरा चाँद थोड़ा
मेरी ओर झुक आया ..
हँसा …..
बोला …..
अब फिर अमावस का अँधेरा मुझे घेरने लगेगा .
पर मैं हार नहीँ मानता कभी .
जल्दी ही पूरा हो कर
फ़िर आऊँगा …
शब्बा ख़ैर ! ! ! !