डूबते सूरज की लाल किरणो से निकलती आभा चारो ओर बिखरी थी. सामने, ताल का रंग लाल हो गया था. मैं अपनी मोबाईल से तस्वीर लेने लगी. डूबते सूर्य किरणों के साथ सेल्फी लेने की असफल कोशिश कर रही थी. पर तस्वीर ठीक से नहीं आ रही थी. तभी पीछे से आवाज़ आई – ” क्या मैं आपकी मदद कर सकती हूँ ? “चौक कर पलटी तो सामने एक खुबसूरत , कनक छडी सी, आयत नयनो वाली श्यामल युवती खड़ी थी.
मैंने हैरानी से अपरिचिता को देखा और पूछा – “आप को यहाँ पहले नहीं देखा. कहाँ से आई है? और मोबाईल उसकी ओर बढ़ा दिया . उसने तस्वीरें खींचते हुये कहा – कहते हैं , डूबते सूरज के साथ तस्वीरें नही लेनी चाहिये. मैं भी अस्ताचल सूर्य के साथ अपनी तस्वीर लिया करती थी. फ़िर गहरी नज़रों से उसने मुझे देखते हुये मेरे मन की बात कही – बडे…
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