लोग उदाहरण देते है कृष्ण- सुदामा के मित्रता की .
पर जान दे कर दोस्ती
तो कर्ण ने भी निभाई दुर्योधन से .
जब कृष्ण ने लालच दिया ज्येष्ठ पांडव बन
राज्य और द्रौपदी को पाने की .
कर्ण के दिल में ठंडक और चेहरे पर मृदु मुस्कान छा गई .
उसका भी परिवार है . वह राज पुत्र है . ……
जिस द्रौपदी को उसने पहली
नज़र में पसंद किया था
,वह उसकी भी अर्धनगिनीबन सकती है .
तभी स्मृति में एक और चेहरा आया .
दुर्योधन को वह धोखा कैसे दे सकता ?
जिसने उसे सम्मान दिलाया .
तब जब उसके अपनो ने भी उसे नहीं पहचान दी . …..
और युद्ध की नियति जानते हुए भी
मित्र के लिए मृत्यु का वरण किया……
