
फिज़ा
में बिखरी खुशबू खिसकती सरकती
ना जाने कब
पास पहुँच कर
गले में बाँहें डाल
अतीत की ओर खीँच ले गई .
किसी के यादों के साये और गुलाबों के बीच ले गई .

फिज़ा
में बिखरी खुशबू खिसकती सरकती
ना जाने कब
पास पहुँच कर
गले में बाँहें डाल
अतीत की ओर खीँच ले गई .
किसी के यादों के साये और गुलाबों के बीच ले गई .
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