बिखरे शब्द 

इधर उधर बिखरे  शब्दोँ  को बटोरकर

उनमें  दिल के एहसास  और

जीवन के कुछ  मृदु कटु अनुभव डाल

बनती है सुनहरी

काव्यमय  कविता ……

कभी तो यह दिल के बेहद करीब होती है

सुकून भरी …मीठी मीठी निर्झर सी ….

और कभी जब यह  पसंद नहीं आती

मिटे पन्नों में कहीं दफन हो जाती है -ऐसी कविता !