घंटो बातें करो
या फिर बिलकुल बातें ना हो ,
दोस्ती या सम्बन्धों को,
निभाने का यह तरीक़ा
कुछ समझ नहीं आता .
क्या कोई बता सकता है ?
क्यों करते हैं लोग ऐसा ?
घंटो बातें करो
या फिर बिलकुल बातें ना हो ,
दोस्ती या सम्बन्धों को,
निभाने का यह तरीक़ा
कुछ समझ नहीं आता .
क्या कोई बता सकता है ?
क्यों करते हैं लोग ऐसा ?