शब्दों से…सहारे से…ना समझाओ हमें,
कि हमने सब संभाल रखा है बड़े अच्छे से।
जब हम न संभाल सकें
टूटने दो हमें भी कभी कभी ……..
चाह नहीं है हमें हमेशा पहाड़ों को जीतने की।
कभी कभी पेड़ों के झुरमुट में चुपचाप चलना,
चँद बुंद आँसू बहाना भी अच्छा लगता है.
शब्दों से…सहारे से…ना समझाओ हमें,
कि हमने सब संभाल रखा है बड़े अच्छे से।
जब हम न संभाल सकें
टूटने दो हमें भी कभी कभी ……..
चाह नहीं है हमें हमेशा पहाड़ों को जीतने की।
कभी कभी पेड़ों के झुरमुट में चुपचाप चलना,
चँद बुंद आँसू बहाना भी अच्छा लगता है.