खबरें

सब कहते हैं –  प्रकृति  निष्ठुर हो गई है।

पर क़ुदरत से बेरुखी किया हम सब नें ।

कभी सोंचा नहीं यह  क्या कहती है?

 क्यों कहती हैं?

कटते पेङ, मरती नदियाँ आवाज़ें देतीं रहीं। 

जहर बना जल, सागर, गगन। 

हवाएँ कहती रहीं

 अनुकूल बनो या नष्ट हो जाअो…….

अब, पता नही खफ़ा है ? 

 दिल्लगी कर रही है?

या अपने  नियम, कानून, सिद्धांतों पर चल रही है यह ?

खबरें पढ़ कर विचार आता है –

आज हम पढ़तें हैं हङप्पा अौर मोहनजोदाङो,

हजारों साल बाद क्या कोई हमें पढ़ेगा?

 

ज़हर

अर्जून ने कृष्ण से पुछा –

ज़हर क्या है ?

कृष्ण ने बहुत सुन्दर जबाब दिया –

हर वो चीज़ , जो ज़िन्दगी में

आवश्यकता से अधिक होती है ,

वही ज़हर है , फ़िर चाहे वो –

ताक़त हो ,

धन हो ,

भूख हो ,

लालच हो ,

अभिमान हो ,

आलस हो ,

महत्वकाँक्षा हो ,

प्रेम हो

या घृणा.