मुकम्मल जहाँ

 

सपने, कविता ,ग़ज़ल, शायरी में तो जमीं आसमां अौ सारे जहाँ मिल जाते हैं..

पर उनसे बाहर निकलो , तब मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता ।