रौशन आफ़ताब

हमें जलाने की,

बुझाने की कोशिश ना कर,

हम चराग़ नहीं,

रौशन आफ़ताब हैं।

खुद हीं जल के रौशन होते हैं।

और जहाँ रौशन करते हैं।

चराग़