सूरज ङूबने वाला था,
ना जाने क्यों ठिठका ?
अपनी लालिमा के साथ कुछ पल बिता
पलट कर बोला – अँधेरे से ङरना मत ।
यह रौशनी-अधंकार कालचक्र है।
नया सवेरा लेकर
मैं कल फिर आऊँगा !!!!!
image by Rekha Sahay
सूरज ङूबने वाला था,
ना जाने क्यों ठिठका ?
अपनी लालिमा के साथ कुछ पल बिता
पलट कर बोला – अँधेरे से ङरना मत ।
यह रौशनी-अधंकार कालचक्र है।
नया सवेरा लेकर
मैं कल फिर आऊँगा !!!!!
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