अकेलापन

अकेलापन कभी डराता है, कभी सहलाता है।

कभी ख्वाबों ख़यालों में ले जाता है….

तब

कवितायें- कहानियाँ जन्म लेने लगतीं हैं

नये वजूद- चरित्र, मित्र बन

गले में बाहेँ डाल

अपनी दुनिया में खींच ले जाते हैं !!!!!!

फिजा में बिखरी खुशबू


फिज़ा
में बिखरी खुशबू खिसकती सरकती 
ना जाने कब 

पास पहुँच कर 

गले में बाँहें डाल 

अतीत की ओर खीँच  ले गई .

किसी के यादों के साये और गुलाबों के बीच ले गई .