रेत पर, तपते रेगिस्तान में
खिल आये कैक्टस
ने बिना ङरे
चटक रंगों को बिखेरा।
किसी ख़ूबसूरत नज़्म या कविता की तरह ……
गर्म बयार अौर
आग उगलते सूरज
ने नन्हे से कैक्टस के हौसले देख
नज़रें झुका ली ।
रेत पर, तपते रेगिस्तान में
खिल आये कैक्टस
ने बिना ङरे
चटक रंगों को बिखेरा।
किसी ख़ूबसूरत नज़्म या कविता की तरह ……
गर्म बयार अौर
आग उगलते सूरज
ने नन्हे से कैक्टस के हौसले देख
नज़रें झुका ली ।