जेलोटोलॉजी या हँसी का विज्ञान

क्या आप जानते हैं, हँसी का मनोविज्ञान या विज्ञान होता है। हँसी के  शरीर पर होने वाले प्रभाव को ‘जेलोटोलॉजी’ कहते हैं।

क्या आपने कभी गौर किया है, हँसी संक्रामक या इनफेक्शंस होती है। एक दूसरे को हँसते देखकर ज्यादा हँसी आती है। बच्चे सबसे अधिक हँसते हैं और महिलाएं पुरुषों से अधिक हँसती हैं। हम सभी बोलने से पहले अपने आप हँसना सीखते हैं। दिलचस्प बात है कि हँसने की भाषा नहीं होती है। हँसी खून के बहाव को बढ़ाती है। हम सब लगभग एक तरह से हँसते हैं।

मजे की बात है कि जब हम हँसते हैं, साथ में गुस्सा नहीं कर सकते । हँसी तनाव कम करती है। हँसी काफी कैलोरी भी जलाती है। हँसी एक अच्छा व्यायाम है। आजकल हँसी थेरेपी, योग और ध्यान द्वारा उपचार भी किया जाता है। डायबिटीज, रक्त प्रवाह, इम्यून सिस्टम, एंग्जायटी, तनाव कम करने, नींद, दिल के उपचार में यह फायदेमंद साबित हुआ हैं। हँसी स्वाभिक तौर पर दर्दनिवारक या पेनकिलर का काम भी करती है।

हमेशा हँसते- हँसाते रहें! खुश रहें! सुरक्षित रहें!

 

 

जिंदगी के रंग – 45

जिंदगी के रंग निराले

जो कभी खून करना चाहते थे, उन्हें खून देते देखा।

जो जान लेना चाहते थे, उन्हें जान देते देखा

जो लाखों लोगों का दिल धङकाते थे,

उन्हें एक-एक धङकन के लिये मोहताज़ होते देखा।

जिनके लिये लाखों दुआएँ मागीं , उन्हें बद्दुआ देते देखा।

दिल में जगह देनेवालों को दिल तोङते देखा।

इन सब के बाद भी जीने की जिद देखी।

    बङी अजीब पर नशीली अौ हसीन है यह दुनिया…………….