नारी सुलभ कामना से
पर्वती ने चाहा रुद्र के साथ समय बिताना .
शिव की यायावर – तीनों लोकों में
घूमते रहने की प्रवृति से परेशान हो कर ,
काशी के गंगा तट पर ,
मणि के बने अपने कर्ण फूल छुपा ,
उसे ढूँढ़ने पिनाकी को लगा दिया .
वह गंगा घाट आज भी मणिकर्णिका कहलाती है .
कहते है , मोक्ष लालसा से यहाँ अनवरत चिंतायें जलती रहती हैं .
झाँसी की रानी मनु का भी नाम मणिकर्णिका था .
पर्वती की मणिकर्णिका सचमुच अनमोल है .
ये शिव के अन्य नाम हैं — रुद्र, पिनाकी
Images from internet.


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