कैलेंडर कई बदल जाते है।
पर कुछ तारीख़ें दिल में ठहर जाती है।
वक़्त आगे बढ़ जाता है।
पर रूह उसी मुक़ाम
सज्दा करती रह जाती है।
(12 Oct- Remembering my husband on his death anniversary!)

कैलेंडर कई बदल जाते है।
पर कुछ तारीख़ें दिल में ठहर जाती है।
वक़्त आगे बढ़ जाता है।
पर रूह उसी मुक़ाम
सज्दा करती रह जाती है।
(12 Oct- Remembering my husband on his death anniversary!)
