कोई उम्मीद बर नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती
मौत का एक दिन मु’अय्यन है
नींद क्यों रात भर नहीं आती
आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी
अब किसी बात पर नहीं आती
जानता हूँ सवाब-ए-ता’अत-ओ-ज़हद
पर तबीयत इधर नहीं आती
है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ
वर्ना क्या बात कर नहीं आती
क्यों न चीख़ूँ कि याद करते हैं
मेरी आवाज़ गर नहीं आती
दाग़-ए-दिल नज़र नहीं आता
बू-ए-चारागर नहीं आती
हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती
मरते हैं आरज़ू में मरने की
मौत आती है पर नहीं आती
काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’
शर्म तुमको मगर नहीं आती।
meaning- बर नहीं आती = पूरी नहीं होती), (सूरत = उपाय) (मु‘अय्यन = तय, निश्चित)
(सवाब = reward of good deeds in next life, ता’अत = devotion,ज़हद = religious deeds or duties चारागर – doctor, healer.

Well written.
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Indeed.
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Learned some new Urdu words. Thanks for sharing
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Thank you n welcome
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क्या ख़ूब लिख दिया ग़ालिब
तुम तो चले गए यहाँ से वहाँ
जो बचें है सब यहाँ उनका तो
दिल चीर दिया तुमने मालिक
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ग़ालिब की शायरी ऐसी हीं है.
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👌👌👌👌👌
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Thanks
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