किसी प्रिय मित्र ने लिखा –
साइलेंट मोड़ पर फ़ोन अच्छे लगते हैं ,
दोस्त नहीं .
पर क्या करें दोस्त ,
ज़िंदगी की डाउन्लोडिंग बीच में हीं अटक गई है .
वरना हम भी दोस्त थे काम के …..

किसी प्रिय मित्र ने लिखा –
साइलेंट मोड़ पर फ़ोन अच्छे लगते हैं ,
दोस्त नहीं .
पर क्या करें दोस्त ,
ज़िंदगी की डाउन्लोडिंग बीच में हीं अटक गई है .
वरना हम भी दोस्त थे काम के …..

हाहाहा।।। मजेदार👍😊
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😊 यह सच्ची घटना है कुमार .
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झूठी घटना पे हंसी नहीं आती। :)😊
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Hmmm ….very intelligent. 😊
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Fabulous post
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Thank you 😊 Rajani ji
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