कुछ बातें भूल जाना हीं बेहतर है।
पर क्या करें?
बिना बहे आँसुअों की गिनती
आँखे बंद कर हुई मुलाकातों की बातें ,
दर्द में भी मुस्कुराहट,
का हिसाब भी यह दिल रखता है।

कुछ बातें भूल जाना हीं बेहतर है।
पर क्या करें?
बिना बहे आँसुअों की गिनती
आँखे बंद कर हुई मुलाकातों की बातें ,
दर्द में भी मुस्कुराहट,
का हिसाब भी यह दिल रखता है।

अहा।।।क्या खूब कहा।इसके पास सिर्फ हिसाब होता है।उसे देखता कौन है?
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बहुत शुक्रिया मधुसूदन .
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Waah
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Thank you 😊
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खूब
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धन्यवाद दीप .
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