ये तारे क्या कहने को
लफ़्ज़ों के बिना
इतना टिमटिमाते हैं ?
कौन सी चोट है?
मौन रह कर
क्यों टूट टूट कर
ऐसे बिखर जातें हैं?
कि दिल के तारों को
भी छू जातें हैं.

ये तारे क्या कहने को
लफ़्ज़ों के बिना
इतना टिमटिमाते हैं ?
कौन सी चोट है?
मौन रह कर
क्यों टूट टूट कर
ऐसे बिखर जातें हैं?
कि दिल के तारों को
भी छू जातें हैं.
