अगर बने लिखनेवाले के हमदर्द,
चाहो या ना चाहो
हर बात पन्नों पर ,
शब्द बन उकेर दिए जाएँगे .
यादों में रहने के साथ
कहानियों – कविताओं में क़ैद कर लिए जाओगे.
नाराज़गी भी खट्टे-मीठे उलाहनों में
लिखें जाएँगे .
ज़िंदगी जब भी देगी दस्तक ,
हर क़यामत को,
दर्दभरी कविताएँ
ग़ज़ल- शायरी बना सुनायें जाएँगे.
अजीब सा है यह रिश्ता .
रहो या ना रहो,
जाने नहीं देंगे.
उत्कृष्ट कृति ,जीती जागती कविताएँ बना
लिखेगें ख़ामोशी भरे लफ़्ज़ों में ……..
गढ़ी अनगढ़ी पंक्तियाँ और
सुंदर सहज कहानियों में………


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