बेटियां…..

7 thoughts on “बेटियां…..

    1. हाँ, बदलनी तो चाहिये। पर सच्चाई तो यह है कि अच्छे- अच्छे घरों में यह भेदभाव अभी भी है।

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  1. कठोर सत्य।
    मगर अब ये सोच थोड़ी कम हो रही है। फिर भी रफ्तार की जरूरत है। लोगो को जागरूक करती पंक्तियाँ।

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    1. अभी भी काफ़ी हद तक हालात वैसे हीं हैं. आपकी बात सही है – रफ़्तार की ज़रूरत है.
      शुक्रिया .

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      1. पता नहीं कब जागेगा तह समाज ? मुझे बेहद अफ़सोस होता है यह स्थिति देख कर

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