
शब्द …कड़वे शब्द
क्या शांत ताल में
हलचल पैदा कर सकते हैं?
यक़ीन करिये,
गुम चोट की तरह
कुछ चोट दिखते नहीं
पर दर्द बड़ा करते हैं.


शब्द …कड़वे शब्द
क्या शांत ताल में
हलचल पैदा कर सकते हैं?
यक़ीन करिये,
गुम चोट की तरह
कुछ चोट दिखते नहीं
पर दर्द बड़ा करते हैं.

बहुत सुंदर शब्द
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आभर नागेश्वर।
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शत प्रतिशत सच है ये बात !
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🙂 लेकिन ज्यादातर लोग नहीं समझते हैं। यह कहावत सुनी है न? —
बातन हाथी पाइए बातन हाथीपांव।
यह राजा-रजवाङे के समय के दरबार के लिये है – अगर अच्छी बात करते हैं तो हाथी मिल सकता है और अगर खराब बात की तो हाथी के पांव के नीचे कुचले जाने की सजा भी मिल सकती है।
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ठीक कहा रेखा जी आपने ।
भर जाता है गहरा घाव जो बनता है गोली से ।
पर वो घाव नहीं भरता जो बना हो कड़वी बोली से ।
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बिलकुल, पता नहीं आजकल लोगों की जवान कड़वी हो गई है या सभी की ज़िंदगी में इतनी कड़वाहट भर गई है कि वे अच्छी बातें करना भूल गए हैं?
आपने बेहद उम्दा पंक्तियाँ लिखीं है. आभार .
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फिर भी हम ने खाईं है क़सम
नि:शब्द न रह कर
शब्दों को तराशेंगे हम
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शब्दों से किसी का दिल जीता या छलनी किया जा सकता है . इसलिए बोलने से पहले उन्हें तराश लेना चाहिये.
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वाह
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शुक्रिया .
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शब्दवाण
मेरे दिल मे जाने कितने घाव हैं
जिन्हे शब्दवाणों से कुरेदा गया है।
ये घाव दिखते नही हैं,
सिफ॔ अन्दर अन्दर रिसते हैं।
दिल मे एक दद॔ सा होता है
और बेचैनी बढ जाती है।
काश दिल न होता
और शब्द का वजूद न होता
तो इतने दिल न टूटे होते
न अपने पराए होते
न ज़िन्दगी से हम रुसवा हुए होते।
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सच है शब्दों में बड़ी शक्ति होती है .
बहुत अच्छी कविता है . आपने लिखी है क्या ?
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मेरी ही रचना है। धन्यवाद ।
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बहुत अच्छी रचना है.
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Very nicely said, Rekha ji. Words can hurt but no one can see.
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And most surprising thing is – some of them even don’t understand/ accept the effects of their bitter words.
Thank you Abhijit ji .
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