दो रोज़ की ज़िंदगी
दो दिन की महफ़िल
तिनका तिनका जोड़ कर
आशिया बनाने में
ज़िंदगी निकल जाती है.
जब जाना है आज या कल
फिर इतना मेला क्यों ?

दो रोज़ की ज़िंदगी
दो दिन की महफ़िल
तिनका तिनका जोड़ कर
आशिया बनाने में
ज़िंदगी निकल जाती है.
जब जाना है आज या कल
फिर इतना मेला क्यों ?

Aapki Urdu kaafi achhi hai
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nahi aise baat nahi hai. sach yah hai ki thoda sikhne ki koshish karti Hun. Anyways thanks
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Wish u best luck in all your good efforts. 💐
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Thanks a lot your kind words Atul .
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