ख़ाक

बातों और

शब्दों , लफ़्ज़ों में भी

आग होती है.

चाहो जला दो किसी का दिल

पर सुकून नहीं मिलेगा कभी

बचे हुए ख़ाक से .

6 thoughts on “ख़ाक

Leave a reply to Nirant Gurav Cancel reply