आधी अधूरी कहानियाँ,
आधी अधूरी जिंदगनियाँ,
ग़म ए दहर………
हिसाब खोने पाने का ,
दुनिया में आने- जाने का,
छोड़ो ज़िंदगी के ये गीत।
ये हम गाना और गुनगुना नहीं चाहते।
इस मुसाफ़िरखाने के हर,
मुसाफ़िर की यही कहानी है।
गुलाबी आँखों के दरिया के ज्वार भाटे में,
पानी हीं पानी हैं।

ग़म ए दहर – sorrow of world