जब तक फूलों सी
ख़ुशबू औ नज़ाकत थी .
बेदर्दी से पेश आते रहे लोग .
अपने को काँटे सा कठोर दिखाने के बाद
हम तो नहीं बदले पर
लोग बदल गए….
कुछ सुधर से गए हैं…..

जब तक फूलों सी
ख़ुशबू औ नज़ाकत थी .
बेदर्दी से पेश आते रहे लोग .
अपने को काँटे सा कठोर दिखाने के बाद
हम तो नहीं बदले पर
लोग बदल गए….
कुछ सुधर से गए हैं…..

Wow. Fantastic words. So true and meaningful. Thanks for sharing
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Thank you. This is the reality .
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You are most welcome Rekha
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