हौसला और मुस्कान के साथ
गिरना और गिर कर उठना
कितनों को आता है ?
लहरों को देखो ,
हर बार गिर कर ,
टूट कर बिखरने पर भी
दुगने जोश के साथ आतीं हैं.
बिना गिरे हीं हम
चलना सीख नहीं सकते .
जीवन में लगी हर ठोकर ,
हर चोट कुछ ना कुछ
सीख दे कर जाती है .
चलना सीखा जातीं हैं.
