सुबह की कच्ची मीठी धूप
दिवस के बीतते प्रहर के साथ
रवि के प्रखर प्रहार से बेनूर आकाश से
तपती धरती पर आग का गोला बन
गर्दो गुबार से हमला करता है।
खुश्क हवाअों की चीखें….
कभी शोर करतीं, कभी चुप हो जातीं हैं।
जलाता हैं सबको मई- जून।
भङकता सूरज अौर धूल-धूसरित , खर-पतवार भरी हवा के बाद
बस इंतजार रहता शाम का या फिर बारिश का…..
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thank you 🙂
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अब सही मैं बारिश आरही है हमारे यहां, लेकिन रेखा जी. बारिश के बाद कल का धूप भी तो ज़्यादा बड़जायेगा.. इंतेज़ार तो सिर्फ शाम का है।
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आभार इतने सुंदर उत्तर के लिए . 😊
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