चाहतों से और ,
चाहते रहने से ,
ना मुक़ाम मिलते है .
ना चाहतें पूरी होती है .
मंज़िल माक़ूल पाने के लिए
चलते रहने की ज़िद
भी ज़रूरी है .

चाहतों से और ,
चाहते रहने से ,
ना मुक़ाम मिलते है .
ना चाहतें पूरी होती है .
मंज़िल माक़ूल पाने के लिए
चलते रहने की ज़िद
भी ज़रूरी है .

इकदम सही लिखा आपने
निरन्तर प्रयास से ही सफलता प्राप्त होता है
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आभार अंकित।
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सही कहा
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आभार।
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Sounds like persistence 🙂
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🙂
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Brilliant thought! Thoda pagalpan jaroori hai!
Love this post Rekhaji!
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Thank you 😊 Ravi. Bilkul sahi , sakaratmak jid jaruri hai.
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u r welcome,Rekha ji!
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good one..❤
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Thank you 😊
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