चाहतों से और ,
चाहते रहने से ,
ना मुक़ाम मिलते है .
ना चाहतें पूरी होती है .
मंज़िल माक़ूल पाने के लिए
चलते रहने की ज़िद
भी ज़रूरी है .

चाहतों से और ,
चाहते रहने से ,
ना मुक़ाम मिलते है .
ना चाहतें पूरी होती है .
मंज़िल माक़ूल पाने के लिए
चलते रहने की ज़िद
भी ज़रूरी है .
