तन्हाई से मुलाकात

तन्हाई से मुलाकात हुई,

उसने अपनी भीगी पलकों को खोली,

…..बोली

मैं भी अकेली …..

क्या हम साथ  समय

बिता सकते हैं?

हम नें कहा – हाँ जरुर …..

अकेलेपन अौर पीङा से

गुजर कर हीं कला निखरती है।

17 thoughts on “तन्हाई से मुलाकात

  1. मुलाक़ात-ए-गैर देख कर तड़पता है ये ज़माना,
    डर है के मुझे ये जलाकर ख़ाक न कर दे।
    मेरे अकेलेपन की है मेरी अपनी ही ख्वाहिशें,
    दुनिया उसे सरेआम लाकर बेब़ाक न कर दे।

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