तन्हाई से मुलाकात हुई,
उसने अपनी भीगी पलकों को खोली,
…..बोली
मैं भी अकेली …..
क्या हम साथ समय
बिता सकते हैं?
हम नें कहा – हाँ जरुर …..
अकेलेपन अौर पीङा से
गुजर कर हीं कला निखरती है।
तन्हाई से मुलाकात हुई,
उसने अपनी भीगी पलकों को खोली,
…..बोली
मैं भी अकेली …..
क्या हम साथ समय
बिता सकते हैं?
हम नें कहा – हाँ जरुर …..
अकेलेपन अौर पीङा से
गुजर कर हीं कला निखरती है।
Nice lines…☺❤
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Thank you Danish .
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बहुत खूब
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आभार !!!!
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Lovely poem and sense of loneliness
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Thank you for the appreciation.
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Nice pic
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beautiful words mam…
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Thank you so much .
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मुलाक़ात-ए-गैर देख कर तड़पता है ये ज़माना,
डर है के मुझे ये जलाकर ख़ाक न कर दे।
मेरे अकेलेपन की है मेरी अपनी ही ख्वाहिशें,
दुनिया उसे सरेआम लाकर बेब़ाक न कर दे।
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वाह ! ! ! बहुत खूब .
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Very stunning…
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Thank you 🙂 !!!!
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Khoobsurat rachna h…
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शुक्रिया .
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I am new here. Plz check out my blog and provide your invaluable suggestions.
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Sure !
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