जीवन के बिखरे पन्नों को समेटते – समेटते,
लगा जैसे युग बीत गये………
पर यादों के समुन्द्र से बाहर आ कर देखा,
बस कुछ हीं पल गुजरें थे।
जीवन के बिखरे पन्नों को समेटते – समेटते,
लगा जैसे युग बीत गये………
पर यादों के समुन्द्र से बाहर आ कर देखा,
बस कुछ हीं पल गुजरें थे।