रंग-बिरंगी तितलियों से विचार

जेहन में उमङते-घुमङते विचार,

पन्नों पर शब्दों का जाल बना लिख ङालो,

तब

कविता बन जाती है………..

वरना,

ये उङ जाते हैं,

रंग-बिरंगी तितलियोँ की तरह।

शायद …. किसी अौर फूल पर !!!!

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