सबसे बङी इबादत – कविता

जब भी किसी ने आँखों से मदद मागीं

अौर

नादानी में,   अनदेखा किया,  वे आज भी याद हैं।

लरजते आँखों को पहचान लेना, ऐसे हाथों को

कस कर थाम लेना,

शायद सबसे बङी इबादत है !!!!

 

19 thoughts on “सबसे बङी इबादत – कविता

Leave a reply to Rekha Sahay Cancel reply