जिंदगी के रंग, कविता -18

If you want to hold beautiful one

Hold yourself to yourself.
​इक उम्र बीत गई जिंदगी जीते हुए .

पर उलझने आज भी उलझाती है .

या तो हमें  जिंदगी  जीना नहीँ आया .

या जिंदगी ने ठीक से सबक नहीँ सिखाया.

या रोज़ नये नये सबक ले कर

 नये रंग दिखाती है जिंदगी …..

31 thoughts on “जिंदगी के रंग, कविता -18

      1. धन्यवाद दी। इक बात कहे दी जो काफी दिनों से कहने की इच्छा थी। असल में दी WordPress पर में कभी कभी जब मेरी भावनाओं ज्वार की तरह आकर बाँध को भर देती और भावनाऐ उफान पर होती तभी आता और उन्हें शब्दों का रूप देकर भाटा की तरह उनको शांत करने के लिए लिखता था परंतु आपके ब्लाग को पढ़ने के बाद ना जाने क्या हुआ कि मुझे लगा की मुझे भी लिखना चाहिए। सच दी आपसे प्रेरित होकर ही मैंने रोजना लिखना आरंभ किया और मुझे कितने सारे प्रोत्साहित करने वाली प्रेमात्माऐ मिली। इसके लिए मैं आपका ना मात्र आभारी हूं अपितु अपने हृदय से आपको धन्यवाद कहना चाहता हूँ दी। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

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      2. पवन आपने तो बहुत ढेर सी तारीफ कर दी और मुझे Emotional कर दिया. बहुत धन्यवाद !!
        लिखना एक creativity है. यह एक तरह का मनोवैज्ञानिक तरीका भी है अपनी परेशानियों को सम्भालने का.
        morning pages – यानी सुबह सुबह मन की बातों को लिख डालना (ज़रूरी नहीँ इसे wordpress पर डाले ). यह मन को हल्का करने का creative तरीका है.
        इसलिये लिखते रहिये और हमेशा खुश रहिये . 😊😊

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      3. मैंने वही कहा दी जो सत्य था। धन्यवाद दी आपके सुझाव के लिए।

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      4. आपको भी धन्यवाद दी इक भाई की तरह स्नेह और सुझाव देने के लिए।

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