जिंदगी के रंग (कविता – 5)

जीवन के इंद्रधनुषी सफर में
हजारो रंग नज़र आते है,
परायों को अपना कहनेवाले
अच्छों को बुरा कहने वाले
कहीँ ना कहीँ मिल जाते है

रोज़ सफेद -काले और
सतरंगी जिंदगी नज़र आती है
जिंदगी रोज़ नये रंग दिखाती है।

Source: जिंदगी के रंग (कविता – 5)