आशीर्वाद- कविता

 

किसी के जाने के बाद

यादें और आशीर्वाद
रह जाते है,
ना कोई छीन सकता है,
ना इसका बँटवारा होता है.

                                                          ( मेरे पिता के पुण्यतिथि पर , 21 Dec)

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Source: आशीर्वाद

34 thoughts on “आशीर्वाद- कविता

  1. बहुत सुदंर पक्तींया रेखा जी ….
    आपके पिता जी बैकुंठ मे ठाकुर चरणो में बैठ कर आपको ढेर सारे आशीर्वाद और स्नेह अभी भी बिना रुके दे रहे है।
    प्रभु हमेशा उन्हे अपने चरणो की सेवा में रखें जहां से असीम शांति उनको मिलती रहे 🙏🏼

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  2. ठहरे हुए पानी की तरह, मन रहता उदास।
    सोचने को बहुत सी बातें, उन बातों से जुड़ी कुछ यादें ।

    परछाईयों की घटती बढ़ती लम्बाईयाँ।
    वक्त के साथ बदलती यादों की तन्हाईयाँ,

    इन तन्हाईयों में सिमटी यादों की लम्बाईयाँ।
    इन्हीं यादों में छिपी जीवन में बढ़ने पिछड़ने की गहराईयाँ।

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    1. आपने दिल छूने वाली बड़ी खुबसूरत पंक्तियाँ लिखी है. बहुत बहुत धन्यवाद.

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  3. Whoa! This blog looks exactly like my old one! It’s on a totally different subject but it has pretty much the
    same page layout and design. Great choice of colors!

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