शून्य -कविता #Zero -Poem


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 हम शून्य से उपजे हैं

शून्य में मिल जायेंगे.

सिफर को सिफर नहीँ

जिंदगी का सफर मानो

यही हैं जीवन का गणित

सब में मिल सकता हैं यह

 अलग हो, फ़िर भी  अनमोल होगा .

 गणित को शून्य  दिया ……

पूज्यम आर्यभट्ट ने,

 हम शून्य से उपजे हैं

शून्य में मिल जायेंगे

शब्दार्थ –

शून्य – सिफर , पूज्यम , जीरो ,अनन्त.

24 thoughts on “शून्य -कविता #Zero -Poem

      1. Sorry for the late reply. Yes this is eaternal truth of life and generally very less people of you age group pay much attention to such serious topic.
        Enjoy happy n safe Diwali 😊

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  1. 🙂 हम शून्य से उपजे हैं शून्य में मिल जायेंगे . . . पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ।

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    1. धन्यवाद अमित जी, आपका commemt मुझे बहुत पसंद आया। हिंदू आध्यात्मिक ग्रंथों (यजुर्वेद) में अनन्त को महत्वपुर्ण स्थान प्राप्त है। आपने ईशोपनिषद की बङी सही चर्चा की है।

      ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
      पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते
      पूर्ण से पूर्ण की ही उत्पत्ति होती है। अनन्त से अनन्त घटाने पर भी अनन्त ही शेष रहता है।
      बौद्ध धर्म भी अंनत / शून्य से उत्पत्ति की बात करता है।

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