जीवन एक नृत्य हैं.
शायद दरवेश रक्स की तरह ,
गोल गोल अपने ही घेरे में
घूमते और झूमते.
चलती रहती हैं जिंदगी.
या दिये की लौ की तरह हैं.
ऊपर उठती खुशी से लपलपाती.
कभी जीवन के झँझावात जैसे
हवा के झोंकों को झेलती.
कांपती , ठिठकती.
कभी लौ के खुबसूरत रंग .
.पीले लाल सुनहरे रंग जैसी जिंदगी .
दीपायमान लौ या दरवेश रक्स
क्या हैं ये जिंदगी?
