कन्या पूजन ( कविता )


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नवरात्रि की अष्टमी तिथि ,
प्रौढ़ होते, धनवान दम्पति ,
अपनी दरिद्र काम वालियों
की पुत्रियों के चरण
अपने कर कमलों से
प्यार से प्रक्षालन कर रहे थे.

अचरज से कोई पूछ बैठा ,
यह क्या कर रहें हैं आप दोनों ?

अश्रुपूर्ण नत नयनों से कहा –
“काश, हमारी भी प्यारी संतान होती.”
सब कुछ है हमारे पास ,
बस एक यही कमी है ,

एक ठंडी आह के साथ कहा –
प्रायश्चित कर रहें है ,
आती हुई लक्ष्मी को
गर्भ से ही वापस लौटाने का.

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Source: कन्या पूजन ( कविता )

तो लोग क्या कहेगें? (कविता)

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पूरे आस-विश्वास के साथ वह लौटी पितृ घर,

पिता की प्यारी-लाङली

पर ससुराल की व्यथा-कथा सुन,

सब ने कहा- वापस वहीं लौट जा।

किसी से कुछ ना बता,

वर्ना लोग क्या कहेगें ?

इतने बङे लोगों के घर की बातें बाहर जायेगी, तो लोग क्या कहेगें?

( लोग सोचतें हैं, घर की बेटियों को परेशानी में पारिवारिक सहायता मिल जाती है। पर पर्दे के पीछे झाकें बिना सच्चाई जानना मुशकिल है। कुछ बङे घरों में एेसे भी ऑनर किलिंग होता है)

Source: तो लोग क्या कहेगें? (कविता)