
वह भी रहती हैं वहाँ
जहां खारा पानी बिकता है।
दरिद्र, पति परित्यक्ता,
दस बच्चों के साथ,
दशकों पुरानी अपनी
बावड़ी का जल बाँट कर
कहती है –“ पानी बेच कर क्या जीना?
क्या पूजा सिर्फ मंदिरों और मस्जिदों में ही होती है ?
यह इबादत का उच्चतम सोपान नहीं है क्या?
(मुंबई, मानखुर्द बस्ती में जहाँ गर्मी में लोग पानी खरीद रहे हैं। जहाँ खारा पानी भी घरेलु काम मॆं आता है। वहाँ ज़रीना ने अपनी पुरानी बाबड़ी का द्वार सभी के लिए खोल दिया है। ) news from daily – HINDU, pg – 2 dated may 12 2016.
images taken from internet.
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